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Friday, March 29, 2024
छत्तीसगढ़

आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं का सातवां राज्य सम्मेलन संपन्न

Visfot News

राजनांदगांव

मोदी सरकार की निजीकरण की नीतियों  के खिलाफ संघर्ष के आह्वान के साथ सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन का सातवां राज्य सम्मेलन संपन्न हो गया। सम्मेलन में पूरे राज्य से आई 100 से अधिक यूनियन नेताओं ने हिस्सा लिया, जिन्होंने अपनी समस्याओं पर चर्चा की, इसके समाधान के लिए संघर्ष की रणनीति तैयार की और इन संघर्षों का नेतृत्व करने के लिए 29 सदस्यीय राज्य समिति का चुनाव किया। समीर कुरैशी इस यूनियन के नए अध्यक्ष और संगीता महंत महासचिव चुनी गई। यूनियन के अन्य निर्वाचित पदाधिकारियों में कार्यकारी अध्यक्ष : मनोरंजन टोपी, उपाध्यक्ष : राजेंद्र झा, रितु शालिनी, रंभा पवार, सावित्री सिंह तथा सरला शर्मा, सचिव : रत्ना साहू, जमुना बंदे, सुनीता मंडावी, लीलावती तथा ईश्वरी साहू, कोषाध्यक्ष : शैलेंद्र कोसरे, सह कोषाध्यक्ष : धनेश्वरी दुबे तथा कार्यकारिणी सदस्य : केशव गोस्वामी, देवदास, चित्रलेखा साहू, पुष्पा दास, सरोज टोप्पो, चेतना मंडावी व अनार ठाकुर तथा 7 पद रिक्त।

इस सम्मेलन का उदघाटन दिल्ली से आई अखिल भारतीय आंगनबाड़ी फेडरेशन की नेता वीणा गुप्ता ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में विस्तार से बताया कि आइसीडीएस के निजीकरण को बढ़ावा देने वाली मोदी सरकार की कॉपोर्रेटपरस्त नीतियों के कारण देश की 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं और सहायिकाओं की रोजी-रोटी खतरे में है, तो वहीं दूसरी ओर हमारे देश के करोड़ों कुपोषित बच्चों का और गर्भवती माताओं का भविष्य भी अंधकारमय है। इसलिए देश को खुशहाल और स्वस्थ रखने के लिए इन जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हम सबको मिलकर लड?े की जरूरत है। उन्होंने बताया कि नया भारत गढ?े का दावा करने वाली मोदी सरकार अपने देश के मजदूरों को न्यूनतम वेतन से भी वंचित रख रही है, जबकि अडानी-अंबानी को छप्पर फाड़ मुनाफा कमाने के मौके दिए जा रहे हैं। इसलिए इन नीतियों के विरोध में और न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर आगामी बजट सत्र में दिल्ली में आंगनबाड़ी कार्यकतार्एं महापड़ाव का आयोजन करेगी।

सम्मेलन में आई प्रतिनिधियों ने चार समूहों में बांटकर अपनी समस्याओं पर विचार-विमर्श किया। उनकी चर्चा का निष्कर्ष था कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त खिलौने नहीं दिए जाते। उन्हें ईंधन का बहुत कम पैसा मिलता है, जबकि उन्हें खाना पकाने के लिए सरकारी खर्च पर गैस सिलेंडर मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में स्थिति इतनी खराब है कि न तो उन्हें आंगनबाड़ी केन्द्रों की साफ-सफाई के लिए सरकार से पैसा मिलता है और न ही बिजली बिल पटाने के लिए पैसे मिलते हैं, जबकि पिछले 6 साल से उनका मानदेय नहीं बढ़ा है। उन्होंने कांग्रेस सरकार से अपने चुनावी वादे पूरे करने की मांग की। एक जैसे कामों के लिए पूरे देश में एक जैसा मानदेय देने की मांग की।

RAM KUMAR KUSHWAHA
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