Please assign a menu to the primary menu location under menu

Sunday, September 24, 2023
खास समाचारमध्यप्रदेश

डीजल, पेट्रोल के बाद अब शिक्षा पर महंगाई

Visfot News

सिलेबस बदलने से दोगुने हुए किताबों के दाम, नए सत्र में मिडिल से लेकर हाईस्कूल व हायर सेकंडरी तक का सिलेबस बदला
भोपाल। कोरोना महामारी के दो वर्ष के दौर में लॉकडाउन प्रभावित रहने से लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। उधर डीजल, पैट्रोल व रसोई गैस के दाम बढऩे से मंहगाई ने आमजन की कमर तोडक़र रख दी। इतना ही नहीं अब प्रदेश सरकार ने न केवल छात्रों की किताबें के मूल्य दोगुने कर दिए, बल्कि अचानक सिलेबस बदलने से स्टेशनरी की दुकानों व गोदाम रखी लाखों रुपए कीमत की किताबें रद्दी हो गई। स्टेशनरी का व्यवसाय करने वाले दुकानदारों का कहना है कि सरकार को पिछले वर्ष प्रकाशित किताबों को वापिस लेना चाहिए, ताकि स्टेशनरी का व्यवसाय प्रभावित न हो। यहां बताना जरूरी है कि कोरोना के चलते बीते दो साल से स्कूल, कोचिंग बंद है। ऐसे में स्टेशनरी व्यवसाय पूरी ठप रहा तथा इस व्यवसाय से जुड़े कारोबारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। उधर सिलेबस बदलने से गोडाउन व दुकानों पर रखी लाखों रुपए की किताबों के सैट रद्दी हो गए तथा दुकानदार किताबों को कबाड़ वालों को बेचने मजबूर हैं।
सिलेबस बदलने से अभिभावक परेशान
प्रदेश भर में शासकीय व अशासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं की पढ़ाई के लिए मप्र राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जारी किताबों के माध्यम से अध्यापन कार्य कराया जाता है। नया सत्र शुरू होने पर आगामी कक्षा में पहुंचने वाले निजी स्कूलों के छात्र छात्राओं को नई किताबे मार्केट से खरीदनी पड़ती हैंं। लेकिन हाईस्कूल और हायरसेकंडरी स्तर की कक्षा में पढऩे वाले लगभग आधे छात्र छात्राएं पैसों की बचत करने के लिए सहपाठियों और दुकानों से पुरानी किताबें खरीदकर अपना काम चला लेते हैं। लेकिन इस बार सिलेबस बदलने से पुरानी किताबें रद्दी हो गई तथा छात्र छात्राएं मंहगी कीमत पर किताबें खरीदने को मजबूर हैं।
कोर्स बदलने पर मार्केट में शॉर्ट रहती हैं किताबें
राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा इस बार नए सत्र में मिडिल से लेकर हाई स्कूल और हायर सेकंडरी तक की किताबों के सिलेबस में बदलाव कर दिया है। जिसमें 10वीं के गणित विज्ञान को छोडक़र सभी विषयों के सिलेबस में बदलाव किया है। इसी प्रकार 12वीं में हिंदी अंग्रेजी की किताबों के सिलेबस में बदलाव करते हुए किताबों की संख्या भी बढ़ा दी है। पूर्व में 10वीं की कुल 7 किताबें ही सिलेबस में शामिल थीं। लेकिन इस बार इन्हें बढ़ाकर 11 कर दिया है। जिसमें सामजिक विज्ञान की एक किताब की जगह 4 व हिंदी की एक किताब की जगह 2 कर दी हैं। सिलेबस बदलने से बाजार में स्टेशनरी दुकानों पर अधिकांश बदली हुई किताबें नहीं मिल रही हैं तथा किताबों की शार्टेज चल रही है।
रद्दी में 10 से 12 रुपए किलो जा रही पुरानी किताबें
दो साल से स्कूल नहीं खुलने से स्टेशनरी व्यवसाय से जुड़े कारोबारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। उधर पिछले वर्ष कक्षा 9वीं एवं इस बार 7वीं, 10वीं व 12वीं का सिलेबस बदल जाने से गोडाउन व दुकानों पर रखीं लाखों रुपए की किताबें पूरी तरह रद्दी हो गईं हैं। पुरानी किताबें अब रद्दी में 10 से 12 रू किलो के भाव से बिक रहीं हैं। रद्दी में बेचने के अलावा दूसरा कोई विकल्प दुकानदार के पास नहीं है।

RAM KUMAR KUSHWAHA
भाषा चुने »