पीएस की नाराजगी से अजय यादव वन विहार से हटाए गए, सागर के दागी अधिकारी को मिली खरगोन की जिम्मेदारी, आधा दर्जन अधिकारियों के साल भर के अंदर दूसरी बार तबादले
भोपाल। राज्य शासन ने 2 दर्जन से अधिक आईएएस अफसरों के तबादले आदेश जारी किए है। इनमें से एक दर्जन अफसर ऐसे हैं, जिन्हें साल भर के भीतर ही दूसरी बार स्थानांतरण किया गया है। इनके स्थानांतरण से तबादला बोर्ड के निर्णय पर सवाल भी उठने लगे हैं। मसलन, वन विहार के संचालक अजय यादव को साल भर में दूसरी बार स्थानांतरित किया गया है। दोनों ही तबादले प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल की नाराजगी के चलते किये गए। इसके अलावा अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन रमेश कुमार श्रीवास्तव अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक का स्थानांतरण साल भर के भीतर ही किया गया।शासन द्वारा जारी आदेश के तहत टिंबर व्यवसाई से रिश्वत मांगने के मामले के आरोप में प्रधान मुख्य वन संरक्षक पद पर पदोन्नत पाने से वंचित अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अजीत श्रीवास्तव की मुख्यधारा में वापसी हुई है। श्रीवास्तव को संरक्षण शाखा जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। श्रीवास्तव को याद दायित्व वन मंत्री विजय शाह की सिफारिश पर मिली है। इसी प्रकार अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक रमेश कुमार श्रीवास्तव को लूप लाइन शाखा निगरानी व मूल्यांकन स्थानांतरित कर कैंपा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि इसके पहले श्री श्रीवास्तव को वन मंत्री विजय शाह की नाराजगी के चलते प्रशासन एक से हटाया गया था। प्रमुख सचिव वर्णवाल ने अपने चहेते अफसर अशोक कुमार मिश्रा को प्रशासन एक की जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए पेंच टाइगर रिजर्व के संचालक बनाए गए हैं। इसी प्रकार वन विहार के संचालक अजय यादव का स्थानांतरण नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में किया गया है। विभाग के सूत्रों का कहना है कि अजय यादव की कार्यशैली से प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल काफी नाराज थे। इसी नाराजगी के चलते इसके पहले भी यादव को सचिव बन के पद से हटाकर उन्हें वन विहार का संचालक बनाया गया था। यादव की जगह पर मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान एवं विस्तार के एचसी गुप्ता को वन विहार का संचालक बनाया गया।
दागी अफसर की फील्ड में हुई पदस्थापना
जारी आदेश में कई नाम ऐसे हैं जो मैनेजमेंट कोटे से महत्वपूर्ण स्थानों पर पदस्थ होने में सफल रहे। इनमें महेंद्र सिंह उईके डीएफओ नरसिंहपुर अपनी मनपसंद स्थान दमोह में पदस्थ होने में कामयाब रहे। वीके की पदस्थापना को लेकर पूर्व में वन मंत्री विजय शाह और प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल के बीच मतभेद थे। सूत्रों की माने तो कई अधिकारियों के तबादले को लेकर वन मंत्री और प्रमुख सचिव समझौता हुआ और इसी समझौते के तहत उईके की पदस्थापना दमोह में कर दी गई। सागर में पौधारोपण में गड़बड़ी करने वाले प्रशांत कुमार सिंह को मुख्यालय से खरगोन का डीएफओ बना दिया गया। जब की गड़बड़ी के चलते ही इन्हें सागर से हटाया गया था। अभी उनके खिलाफ जांच चल रही है। जबकि प्रशांत कुमार सिंह के खिलाफ प्रधान मुख्य वन संरक्षक कैंपा के पूर्व अधिकारी एबी गुप्ता ने लोकायुक्त में शिकायत करने के लिए ब्लॉक विभाग प्रमुख से आगरा किया था। मैनेजमेंट कोटे के तहत ही गौरव चौधरी की पदस्थापना साल भर के अंदर ही बुरहानपुर से हटाकर उत्तर शहडोल में पदस्थ किया गया है। गौरव के खिलाफ सीधी में गड़बड़ी करने के भी आरोप लगे हैं। इन आरोपों को नजरअंदाज करते हुए महत्वपूर्ण वन मंडल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मिश्रा को मिली सीपीए की जिम्मेदारी
ढाई साल से पदस्थ वन संरक्षक भोपाल एचएस मिश्रा को राजधानी परियोजना की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। मिश्रा के स्थान पर पश्चिम छिंदवाड़ा के डीएफओ आलोक पाठक को भोपाल मंडल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डीएफओ विजेंद्र श्रीवास्तव को साल भर के भीतर ही उत्तर बालाघाट से हटाकर ग्वालियर में पदस्थ किया गया। डॉ अंकुर अवधिया आईटी शाखा से हटाकर डीएफओ भिंड और सुधांशु यादव को डीएफओ श्योपुर से हटाकर डीएफओ नौरादेही सागर संचित किए गए। डीएफओ जामसिंग भार्गव को खरगोन वन मंडल से स्थानांतरित कर शाजापुर में पदस्थ किया गया है।
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