भोपाल। प्रदेश में आने वाले समय में जहां बिजली की मांग बढेगी, वहीं कोयला की कमी के चलते बिजली संकट गहराता जा रहा है। नवरात्रि और दीपावली पर्व पर बिजली की मांग बढ जाती है तो वहीं किसानों की सिंचाई का मौसम में भी आ जाता है। ऐसे में बिजली की मांब बढी तेजी से बढेगी। दूसरी तरफ पर्याप्त कोयला नहीं मिलने के कारण पॉवर प्लांट में जरुरत की बिजली भी पैदा नहीं हो पा रही है। ऐसे में आने वाले समय में बिजली संकट और गहरा सकता है। सूत्रों की माने तो पॉवर जनरेशन प्लांट में एक दिन से लेकर सात दिन तक का ही कोयला बचा है। यदि जल्द कोयला नहीं मिला तो नवरात्र से ही बिजली संकट गहरा सकता है। प्रदेश में फिलहाल 9500 मेगावाट खपत बनी है जबकि कोयला प्लांट से सिर्फ 2371 मेगावाट ही बिजली बन रही है।
बाकी की बिजली एनटीपीसी और निजी पावर प्लांट से आ रही है।कोयले की कमी क्यों : मध्य प्रदेश पावर जनरेशन कंपनी के प्रबंध संचालक मनजीत सिंह ने कहा कि एसीसीएल, एनसीएल और डब्ल्यूसीएल से कोयला प्रदेश के पावर प्लांट में पहुंचता है। इन प्लांट में कोयला निकासी नहीं हो रही। जिस वजह से कोयले की कमी है। इस वजह से प्लांट फुल लोड पर नहीं चला रहे हैं ताकि ज्यादा वक्त तक बिजली उत्पादन किया जा सके। उनके अनुसार देशभर में कोयले की कमी है। मनजीत सिंह ने कहा कंपनी का पूरा फोकस कोयले की आपूर्ति पर है। हर दिन इसकी मानीटरिंग की जा रही है। मध्य प्रदेश पावर जनरेशन कंपनी यदि 5400 मेगावाट क्षमता वाले थर्मल पावर प्लांट को पूरी क्षमता से चलाए तो चार दिन भी ये प्लांट नहीं चल पाएंगे। हर दिन करीब 65 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत होती है जबकि कंपनी के पास सभी प्लांट में करीब 2.40 लाख मीट्रिक टन कोयला ही बचा है। प्रदेश में पावर जनरेशन कंपनी के थर्मल प्लांट से 5400 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। फिलहाल कंपनी 2371 मेगावाट ही बिजली का उत्पादन हो रहा है। हाइड्रल प्लांट से 915 मेगावाट की क्षमता है जबकि उत्पादन 732 मेगावाट किया जा रहा है।
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