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Friday, April 19, 2024

महिला आरक्षण विधेयक को जल्द पारित करने की मांग को लेकर बीआरएस नेता कविता भूख हड़ताल पर

Visfot News

नई दिल्ली
 दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेशी से एक दिन पहले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के कविता ने काफ़ी समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को जल्द पारित करने की मांग को लेकर शुक्रवार को सुबह छह घंटे की भूख हड़ताल शुरू की।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल की शुरुआत की। हड़ताल में समाजवादी पार्टी (सपा) की नेता सीमा शुक्ला, तेलंगाना की शिक्षा मंत्री सविता इंद्र रेड्डी और राज्य की महिला एवं बाल विकाल मंत्री सत्यवती राठौर भी शामिल हुईं।

आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह और चित्रा सरवारा, अकाली दल के नरेश गुजराल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अंजुम जावेद मिर्जा, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की शमी फिरदौस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुष्मिता देव, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के केसी त्यागी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सीमा मलिक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नारायण के, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के श्याम रजक और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की प्रियंका चतुर्वेदी के अलावा कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल ने भी हड़ताल में हिस्सा लेने की पुष्टि की है।

येचुरी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “हमारी पार्टी विधेयक के पारित न होने तक, इस विरोध प्रदर्शन में कविता का समर्थन करेगी। राजनीति में महिलाओं को बराबरी का मौका देने के लिए इस विधेयक को लाना जरूरी है।”

वहीं, कविता ने कहा, “अगर भारत को विकसित होना है, तो महिलाओं को राजनीति में अहम भूमिका निभानी होगी। इसके लिए पिछले 27 साल से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को लाना जरूरी है। यह तो शुरुआत भर है और देशभर में विरोध जारी रहेगा।”

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। 12 सितंबर 1996 को सबसे पहले संयुक्त मोर्चा सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था।

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी इस विधेयक को लोकसभा के पटल पर रखा था, लेकिन यह तब भी पारित नहीं सका था।

मई 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार ने एक बार फिर महिला आरक्षण विधेयक पेश किया, जिसे राज्यसभा ने एक स्थाई समिति के पास भेज दिया।

2010 में राज्यसभा ने महिला आरक्षण विधेयक पर मुहर लगा दी, जिसके बाद इसे लोकसभा की मंजूरी के लिए भेजा गया। हालांकि, 15वीं लोकसभा भंग होने की वजह से विधेयक की मियाद खत्म हो गई।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता ने बृहस्पतिवार को कहा था कि यह विधेयक वर्ष 2010 से ठंडे बस्ते में है और मोदी सरकार के पास 2024 के आम चुनाव से पहले इसे पारित कराने का ऐतिहासिक मौका है।

उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 और 2019 के आम चुनाव में वादा किया था कि उनकी सरकार महिला आरक्षण विधेयक लाएगी और यह वादा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल था।

कविता ने कहा था कि किसी भी भाजपा नेता ने यह मुद्दा नहीं उठाया है और बहुमत होने के बावजूद मोदी सरकार संसद में विधेयक पारित कराने में नाकाम रही है, “जो बहुत ही दुखद है।”

कविता ने कहा था कि भूख हड़ताल की योजना एक सप्ताह पहले बनाई गई थी, लेकिन ईडी ने उन्हें प्रस्तावित हड़ताल से ठीक एक दिन पहले नौ मार्च को पेशी के लिए तलब किया था। हालांकि, जांच एजेंसी हड़ताल के एक दिन बाद 11 मार्च को उनका बयान दर्ज करने के लिए सहमत हो गई।

ईडी ने बीआरएस नेता को दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में तलब किया है।

 

RAM KUMAR KUSHWAHA

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