यह संस्कृति हमारी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए खतरनाक
रितेश साहू
नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टर जिस प्रकार से नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं वह बेहद ही चिंताजनक है इससे भी ज्यादा हैरानी इस बात की है स्थानीय प्रशासन व बीएमओ जानकर अनजान बने हुए हैं
नौगांव नगर सहित नौगांव अनु विभाग के गांव गांव मैं झोलाछाप (MBBS) डॉक्टरों की भरमार है चाय की गुमटीयो जैसी दुकानों में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं मरीज चाहे उल्टी दस्त खांसी बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से सभी बीमारियों का इलाज झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 30 से 40 साल की है मरीज की हालत बिगड़ती है तो उसे आनन-फानन में नौगांव या फिर छतरपुर जिला अस्पताल भेज दिया जाता है जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जानकारी में भी है नगर में ईसानगर मार्ग गरौली मार्ग नैगुवॉ मार्ग बिलहरी धौर्रा डिस्टलरी मार्ग सहित ऐसे करीब एक दर्जन क्लीनिक है जो नियमों को ताक में रखकरक्लीनिक ऐसे संचालित कर रहे हैं मानो शासकीय नियमों का शत प्रतिशत पालन कर रहे हो वही नगर से सटे अलीपुरा गरौली नैगुवा मऊ लुगासी सानिया सहित 2 दर्जन से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप खून पसीने की कमाई पर डाका डाल मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे बात करें ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित उप स्वास्थ्य केंद्रों की तो य यहा सुविधाओं की कमी स्टाफ की मनमर्जी ड्यूटी इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप उठा रहे इतना ही नहीं बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी किया जा रहा है जो बिना पंजीयन एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय कर रहे हैं जो दुकानों के भीतर कार्टूनों में दवाओं का अवैध रूप से भंडारण रहता है लेकिन नौगॉव स्वास्थ्य विभाग द्वारा सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई जिससे झोलाछाप डॉक्टर बेखौफ इलाज कर रहे हैं जिनकी दुकानें भरी पड़ी है तो वही बंगाली डॉक्टरों की भी चांदी कट रही है डॉक्टर इलाज की शुरुआत ग्लूकोस बोतल लगाने से शुरू कर दी है एक-एक बोतल चढ़ाने के लिए सौ से ₹200 फीस वसूली जाती है पिछले कुछ सालों मैं मरीजों की मौत भी हुई है लेकिन कभी भी सख्त कार्यवाही नहीं की हैरत की बात है कि प्रशासन दूर से इन्हे देख रहा है लेकिन एक्शन नहीं लेते है जिसका नतीजा है कि पिछले कुछ वर्षों में फर्जी डॉक्टरों की संख्या में इजाफा भी हुआ है किसी के पास मात्र फर्स्ट एंड के डिग्री धारी है तो कोई अपने आपको बबासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिको मैं लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज हो रहा है कुछ डॉक्टरों ने तो ब्लड व यूरोन जांच की सुविधा भी कर रखी है जिससे मरीजों को लगता है कि डॉक्टर साहब सही इलाज करते हैं
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी उप स्वास्थ्य केंद्र समय पर नहीं खुलते और ना ही सुविधाएं है स्टाफ की कमी है जिससे लोगों को मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों की शरण में जाना पड़ता है इतना ही नहीं मरीजों को नकली दवाई देने की बात भी की जा रही है जिस की हकीकत उस समय आयी जब एक मरीज की नगर के ही झोलाछाप डॉक्टर ने दवाई दी और खाने के बात कुछ ही घंटों में हालत बिगड़ गई और सीधे गवालियर हॉस्पिटल ले गए जहां डॉक्टर को जब दवायो के रैपर दिखाएं तब डॉक्टर ने कहा कि यह सब दवाई नकली है कार्यवाही ना होने से यह धंधा इतना चंगा हो गया है कि लोग धड़ल्ले से इस व्यवसाय में एंट्री कर रहे हैं बरहाल लोगों को स्थानीय प्रशासन से उम्मीद नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर सख्त कार्यवाही होगी वरना बदलते मौसम का फायदा उठा रहे झोलाछाप क्लीनिको पर कार्यवाही कर दी जाती जिसको लेकर लोगों ने जिला प्रशासन एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी से आग्रह किया है कि इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए शीघ्र अभियान चलाएं जाने की मांग की है क्योंकि बुद्धिजीवियों का कहना है कि यह संस्कृति हमारी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए बेहद खतरनाक है
टैनसन लेना का नहीं देने का
नौगॉव नगर के निवासियो का कहना है कही न कही अस्पताल प्रशासन की सहमति होगी तभी तो झोला छाप डाक्टरो के खिलाफ कार्यवाही नही होती क्यो कि झोलाछाप डॉक्टर 24घंटे उपब्लब रहते है लेकिन शासकिय अस्पताल के डॉक्टर महज कुछ ही घंटे अपनी सेवाये देते है
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