छतरपुर। दो महीने तक कोरोना कफ्र्यू से जूझते रहे मजदूरों को अनलॉक के बाद भी आशा की किरण नजर नहीं आ रही है। ऐसे श्रमिक जो निर्माण कार्यों में दिहाड़ी मजदूरी करते हुए अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं उनके सामने बेरोजगारी का संकट बना हुआ है। दरअसल छतरपुर जिले में रेत खनन करने वाली ठेकेदार कंपनी के काम छोडऩे के बाद वैधानिक रूप से बंद पड़ीं रेत की खदानों का सीधा असर निर्माण कार्यों पर पड़ रहा है। रेत की आपूर्ति पर्याप्त नहीं होने एवं अवैध रेत के खिलाफ हो रहीं कार्यवाहियों के चलते निर्माण कार्यों पर ग्रहण लगा हुआ है। अगर जल्द ही जिले में रेत की आपूर्ति को सुचारू नहीं बनाया गया तो इससे निर्माण व्यवसाय से जुड़े हजारों मजदूर और सैकड़ों व्यापारी प्रभावित होते रहेंगे।
मजदूर बोले काम नहीं चल रहा, आकर लौट जाते हैं
छत्रसाल चौक पर प्रतिदिन काम की तलाश में कई मजदूर पहुंचते हैं। यहां सुबह 8 बजे से 10 बजे के बीच मजदूरों की मण्डी लगती है। ठेकेदार और निर्माण कार्य कराने वाले लोग यहीं से मजदूर ले जाते हैं। शनिवार को यहां काम की तलाश में आए राजकुमार रैकवार ने बताया कि वह बगौता का निवासी है। दो महीने तक पहले काम नहीं चला और अब जिस ठेकेदार के साथ काम करता था उसने कह दिया कि रेत नहीं मिलने के कारण काम नहीं चल रहे हैं। इसलिए रोज मजदूरी की आस में खड़े-खड़े लौट जाते हैं। सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि दो महीने से सरकारी राशन पर परिवार पाल रहे हैं। ऐसा लग रहा था कि अनलॉक होने के बाद कामकाज फिर से चलेगा लेकिन कोई काम देने को तैयार नहीं है क्योंकि निर्माण कार्य बंद पड़े हैं।
इसलिए गहराया जिले में रेत का संकट
दरअसल छतरपुर जिले की सभी रेत खदानों को शासन ने लखनऊ की आनंदेश्वर एग्रो लिमिटेड नामक ठेकेदार कंपनी को दे रखा है। यह ठेकेदार कंपनी फरवरी तक नियमित रूप से काम करती रही और शासन को निर्धारित राजस्व भी देती रही। अप्रैल में जब कोरोना फैला तो कफ्र्यू लगने के कारण कामकाज बंद हो गए इसलिए आनंदेश्वर कंपनी ने अपै्रल और मई में काम नहीं किया। इस बीच हुए नुकसान के कारण कंपनी ने शासन को दी जाने वाली तिमाही के लगभग 26 करोड़ रूपए जमा नहंी किए। कंपनी सरकार से कोरोना कफ्र्यू के दौरान काम ठप्प होने के नाम पर छूट की मांग कर रही है। उधर खनिज विभाग छूट देने तैयार नहीं है। इसी पेंच के कारण छतरपुर जिले में रेत का वैधानिक खनन बंद पड़ा है।हालंाकि ठेकेदार कंपनी से जुड़े कुछ रेत माफिया अब भी जिला प्रशासन से आंख बचाकर रेत निकालने में लगे हैं। यूपी से सटी रेत की खदानों से माफिया बालू की चोरी करने में जुटे हुए हैं लेकिन वैधानिक तौर पर रेत का खनन बंद होने से निर्माण कार्यों के लिए रेत उपलब्ध नहीं हो रही है। मामला शासन स्तर पर लंबित होने के कारण जिला प्रशासन और खनिज विभाग भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
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