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Sunday, September 24, 2023
खास समाचारमध्यप्रदेश

महाराजा कॉलेज के विलय के बाद डेमेज कंट्रोल करने में लगे शिक्षा मंत्री

महाराजा कॉलेज के विलय के बाद डेमेज कंट्रोल करने में लगे शिक्षा मंत्री

महाराजा कॉलेज के विलय के बाद डेमेज कंट्रोल करने में लगे शिक्षा मंत्रीमहाराजा कॉलेज के विलय के बाद डेमेज कंट्रोल करने में लगे शिक्षा मंत्री
Visfot News

छतरपुर। महाराजा कॉलेज: जानकारी के अनुसार 1865 ईस्वी में छतरपुर के दीवान तांतियां साहब गोरे द्वारा उर्दू मदरसे की स्थापना की गई जिसका शुभारंभ कर्नल टॉमसन द्वारा किया गया। इसके बाद यह मदरसा 1881 ईसवी में एबीएम स्कूल में बदल गया। इसके बाद 1883 ईस्वी में राजमाता ने इसको हाई स्कूल के रूप में उन्नयन करवाया जो 1886 में कोलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध हुआ। जिसे 1935 में राजमाता ने महाराजा इंटरमीडिएट कॉलेज के रूप में बदल दिया गया। इसी क्रम में 1949 में आगरा विश्वविद्यालय से संबंध हुआ और 1957 में स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रूप में इसकी स्थापना हुई जो आज महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में बदल चुका है। विगत रोज महाराजा कॉलेज को विश्वविद्यालय में विलय करने के बाद उपजे जनआक्रोश को सुधारने के लिए मंत्रियों ने अब नई नई घोषणाएं करना शुरु कर दी हैं और जनता को फिर एक बार लॉलीपॉप पकड़ा दी है। छतरपुर ही नहीं बल्कि राजधानी में भी सरकार के इस फैसले का विरोध हुआ तो वहीं दूसरी ओर भाजपाई नेताओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे जनहित में एक कदम बताया। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जनचर्चा ऐसी है कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए महाराजा कॉलेज का विलय विश्वविद्यालय में कर रही है। इसका विलय होने से शासन को विश्वविद्यालय के लिए भवन और अन्य साधनों को एकत्रित नहीं करना पड़ेगा और जनता के सहयोग से बने महाराजा कॉलेज के भवन एवं साधनों में विश्वविद्यालय का संचालक शुरु हो जाएगा और सरकार के सिर से एक बोझ उतर जाएगा। वहीं छतरपुर में इसका विरोध करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें इसकी आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

महाविद्यालय का संविलियन पूरी तरह गलत: कमलनाथ

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि, प्रदेश के छतरपुर के 130 वर्ष पुराने शासकीय महाराजा महाविद्यालय के महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में संविलियन का निर्णय पूरी तरह से गलत व क्षेत्र की जनता की भावनाओं के विपरीत है।शिवराज सरकार ने 9 वर्ष पूर्व छतरपुर में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐलान किया था ,सरकार अपने वादे को आज तक पूरा नहीं कर सकी हैं, इसके लिए सरकार ने आज तक कोई बजट जारी नहीं किया ,जिससे विश्वविद्यालय का आज तक निर्माण प्रारंभ नहीं हो सका और सरकार ने अब अपनी इस वादाखिलाफ़ी पर पर्दा डालने के लिए यह जनविरोधी निर्णय लिया है। छतरपुर का महाराजा कॉलेज ,जिले की जनता की प्रतिष्ठा व मान का संस्थान है ,उक्त महाविद्यालय में 3000 से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। पिछले 100 वर्षों में इस महाविद्यालय से पढ़ कर निकले लाखों विद्यार्थियों देश और दुनिया के कई स्थानों पर क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं। उनकी भावनाएं इस महाविद्यालय से जुड़ी हुई है ,सरकार के इस निर्णय से महाविद्यालय का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। क्षेत्र की जनता इस निर्णय के विरोध में सड़कों पर उतर आई है। मैं सरकार से मांग करता हूँ कि सरकार अपने इस जनविरोधी फैसले को तत्काल वापस ले और महाराजा महाविद्यालय को यथावत रखते हुए ,अपनी पूर्व की घोषणा अनुसार छतरपुर में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए बजट जारी कर ,इसका निर्माण प्रारंभ करवाये। इससे ना केवल रोजगार के साधन निर्मित होंगेबल्कि बुंदेलखंड में शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा।

ये छतरपुर के लिए काला दिवस है

छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी का कहना है कि विश्वविद्यालय में विलय किये जाने के फैसले की में कड़ी आलोचना करता हूँ। उन्होंने कहा कि आज का दिन छतरपुर के लिए काला दिवस है। उन्होंने कहा कि छतरपुर की पहचान और लाखों छात्रों की भावनाओं के केंद्र महाराजा कॉलेज के अस्तित्व को खत्म करने की इस सरकारी साजिश को छतरपुर कभी माफ नही करेगा। उन्होंने कहा कि यह 100 साल से ज्यादा पुराना महाविद्यालय है जिसने अनेक विद्यार्थियों को उनके मुकाम पर पहुचाया है लेकिन आज सरकार इस कॉलेज की प्रतिष्ठा को धूमिल करने पर तुली हुई है। एक तरफ भाजपा की सरकार ने पिछले 9 साल से विश्वविद्यालय के नाम पर छतरपुर को ठगा है।आज तक इसके भवन निर्माण के लिए एक फूटी कौड़ी नही दी और अब छतरपुर के महाराजा कॉलेज का इस विश्वविद्यालय में विलय कर इसके अस्तित्व को भी मिटाया जा रहा है।

बिना सोचे समझे विरोध न करें

पूर्व विधायक ललिता यादव ने कहा कि इस मुद्दे पर छतरपुर की पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री ललिता यादव ने कहा कि महाराजा कॉलेज का यूनिवर्सिटी में विलय नहीं हो रहा है बल्कि सरकार ने विश्वविद्यालय के विकास के लिए यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि मेरी बात मुख्यमंत्री से हुई है। उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय की कक्षाएं यदि महाराजा कॉलेज में प्रारंभ हो जाएंगी तो इससे केन्द्र सरकार द्वारा बजट मिलने लगेगा। 18 नए कोर्स प्रारंभ होंगे जिससे शिक्षा का स्तर सुधरेगा। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों बाद विश्वविद्यालय का अपना भवन भी होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की आदत ही विरोध करने की है। हमें बात को समझकर कोई राय बनानी चाहिए।

उच्च शिक्षा मंत्री ने किया डेमेज कंट्रोल

जिस महाराजा कॉलेज का संविलयन किया है वहां इसी सत्र से 21 नए अध्ययन विभाग खोल कर 18 नए पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये जा रहा रहे हैं। यहाँ रिसर्च की गतिविधि भी शुरू होगी। विश्वविद्यालय को यूजीसी से अनुदान भी मिल सकेगा।महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर, बुंदेलखंड क्षेत्र की ऐतिहासिक, कला, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक धरोहर को संरक्षित करते हुए ज्ञान का केंद्र बनेगा। यह विश्वविद्यालय बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में भी योगदान दें, इसके लिए कार्य योजना बनाकर प्रयास किए जाएंगे। विश्वविद्यालय के विकास को एक नई दिशा प्रदान की जाएगी।उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि विश्वविद्यालय का नवीन भवन स्वीकृत किया गया है और शीघ्र ही निर्माण प्रारम्भ हो जाएगा। विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप 18 नए पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय में पिछले वर्ष चार अध्ययन विभाग खोले गए थे।

विश्वविद्यालय में 18 नए पाठ्यक्रम प्रारंभ होंगे

विश्वविद्यालय में इस सत्र से एमएससी कंप्यूटर साइंस, एमएससी माइक्रोबायोलॉजी, एमए चित्रकला, एमए संगीत, यूजी एंड पीजी डिप्लोमा इन माइनिंग साइंस, पीजी डिप्लोमा इन टूरिज्म, डिप्लोमा इन कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियरिंग, यूजी डिप्लोमा इन इंटीरियर डिजाइनिंग, यूजी डिप्लोमा इन इंटरनेट ऑफ थिंग्स, यूजी डिप्लोमा इन परफॉर्मिंग आट्र्स, यूजी डिप्लोमा इन वेब डिजाइनिंग एंड डेवलपमेंट, सर्टिफिकेट कोर्स इन कम्युनिकेशन स्किल्स, सर्टिफिकेट कोर्स इन डेस्कटॉप पब्लिशिंग, एमएस ऑफिस सर्टिफिकेशन प्रोग्राम, सर्टिफिकेशन कोर्स इन फोटोशॉप, सर्टिफिकेट कोर्स इन नेटवर्किंग, सर्टिफिकेट कोर्स इन कंप्यूटर एडेड डिजाइन एंड ड्राइंग, सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजिटल मार्केटिंग, के पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाएगें। यह सभी पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार होंगे।विश्वविद्यालय में इसी सत्र से कृषि संकाय भी प्रारंभ करेगा। विश्वविद्यालय में मेडिकल कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज, डिग्री इन नर्सिंग एवं पर्यटन संस्थान की स्थापना भी प्रस्तावित है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से बुन्देलखंड क्षेत्र में उच्च शिक्षा के विकास को नए आयाम मिलेंगे और युवाओं को नए पाठ्यक्रमों के माध्यम से रोजगार, स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

RAM KUMAR KUSHWAHA
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