आचार्य ब्रजपाल शुक्ल, वृंदावन धाम
(1) लगता है ये मानव जब भी, अद्भुत विकास करता होगा।
यंत्र मंत्र की प्रबल शक्ति से, अपना विनाश करता होगा।।
(2) पांच हजार वर्ष पहले ही हुआ महाभारत देखा।
अग्निबाण, ब्रह्मास्त्र आदि का अद्भुत चमत्कार देखा।।
तनबल, वैभव, और बुद्धि सबका विकास करता होगा।
यंत्र मंत्र की प्रबल शक्ति से, अपना विनाश करता होगा।।
(3) इसके पहले रामायण में रावण का वर्णन आया।
दसशिर ,बीसभुजा के बलपर,सारा जग था थर्राया।।
ऐसे ही जप, तप का भी मानव विकास करता होगा ।
यंत्र मंत्र की प्रबल शक्ति से अपना विनाश करता होगा ।।
(4) रावण के भी पहले हैहय वंश ने आतंक मचाया था।
परशुराम ने खोज खोज उस वंश का किया सफाया था।।
शक्ति के साथ ही अहंकार का ऐसे विकास करता होगा।
यंत्र मंत्र की प्रबल शक्ति से अपना विनाश करता होगा।।
(5) इसके पहले वृत्रासुर ने,सारे जग में था राज किया।
तब दधीचि के अस्थिवज्र से मारा और सुरकाज किया।।
सोचो तो ये मानव, आखिर कैसा विकास करता होगा?
यंत्र मंत्र की प्रबल शक्ति से अपना विनाश करता होगा।।
(6) इसके पहले हिरणकशिपु हिरणाक्ष बड़े तपशाली थे।
देवलोक भी हथिया डाला, ऐसे वे बलशाली थे।।
अहंकार में सभी मरे, कैसा विकास करता होगा।
यंत्र मंत्र की प्रबल शक्ति से, अपना विनाश करता होगा।।
(7) ” ब्रजपाल” यही लगता है फिर बढक़र घटने का क्रम आया।
सारे विश्व का अहंकार,अस्त्रों शस्त्रों में घिर आया।।
करके विकास, फिर नाश, और फिर से विकास करता होगा।
यंत्र मंत्र की प्रबल शक्ति से अपना विनाश करता होगा।।
लगता है ये मानव जब भी अद्भुत विकास करता होगा।
यंत्र मंत्र की प्रबल शक्ति से अपना विनाश करता होगा।।
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the authorRAM KUMAR KUSHWAHA
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