नई दिल्ली। कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे असंतुष्ट खेमे के नेताओं की मांग पर बुलाई गई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। सोनिया गांधी ने सरकार की विदेश नीति पर हमला करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हमेशा रहने वाली आम सहमति को इसलिए नुकसान पहुंचा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्थपूर्ण मसलों पर विपक्ष को भरोसे में नहीं लेना चाहते। उन्होंने कहा कि देश की विदेश नीति को भी चुनावी ध्रुवीकरण का औजार बना दिया गया है। सोनिया ने कहा, हम अपनी सीमाओं और दूसरे मोर्चो पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले साल विपक्षी नेताओं को कहा था कि हमारी भूमि पर चीन का कोई कब्जा नहीं है। इसके बाद से उनकी चुप्पी ने देश को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार का एकमात्र एजेंडा है, राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचो, बेचो, बेचो। कोरोना की दूसरी लहर के बाद कोविड टीकाकरण नीति में सरकार द्वारा बदलाव का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि ये बदलाव कार्यसमिति की मई में हुई बैठक के तुरंत बाद किया गया।
तब राज्य सरकारों ने इस नीति को बदलने का दबाव बनाया था और ये एक दुर्लभ मौका था जब मोदी सरकार ने राज्यों के दबाव में कोई फैसला बदला हो। इससे देश को होने वाला लाभ सभी ने देखा है। इसके बावजूद सहयोगी संघवाद केंद्र सरकार के लिए सिर्फ एक नारा ही है और ये सरकार गैर भाजपा शासित राज्य सरकारों को दबाने का कोई मौका नहीं छोड़ती। जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक लोगों की हालिया लक्षित हत्याओं पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इन हत्याओं की कड़ी निंदा की जानी चाहिए और इसके साजिशकर्ताओं से निपटने की पूरी जिम्मेदारी मोदी सरकार पर है। जम्मू-कश्मीर के लोगों में विश्वास बहाली और सामाजिक शांति और सौहार्द कायम करना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कार्यसमिति की ये बैठक लगातार चल रहे किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में हो रही है और तीन कृषि कानूनों को संसद के जरिये जबरन थोपे जाने को लेकर पूरे एक साल हो गए हैं। लखीमपुर खीरी हिंसा में 4 किसानों की मौत की घटना पर सोनिया गांधी ने कहा कि ये घटना बताती है कि किसानों के प्रति भाजपा की सोच क्या है और अपने जीवन और जीविकोपार्जन को बचाने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ किसानों से ये पार्टी किस तरह निपटना चाहती है। कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी के अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी समेत जी-23 के गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे नेताओं की भी मौजूदगी रही। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के एम्स में भर्ती होने के कारण और दिग्विजय सिंह और झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह ने अन्य कारणों से बैठक में नहीं लिया। पिछले साल कोविड फैलने के बाद से कांग्रेस कार्यसमिति की ये पहली शारीरिक उपस्थिति वाली बैठक थी। पिछली बैठक ऑनलाइन हुई थी।