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Sunday, September 24, 2023
डेली न्यूज़

भ्रष्टाचार खत्म करना राजनैतिक लोगों व नेताओं के बस में नहीं

Visfot News

अजीत रितेश साहू

भारत के 62 फ़ीसदी लोगों को रिश्वत देने का अनुभव है
भ्रष्टाचार हटाओ की कहने से क्या भ्रष्टाचार मिट जाएगा या फिर अनशन करने और विरोध करने का क्या मतलब है जो नेता दिखा रहे हैं वो क्या सही है हकीकत तो यह है कि भ्रष्टाचार समाज के विकास को अवरुद्ध कर रहा है जिसमें सबसे अधिक खतरनाक राजनैतिक दलों के ऊंचे क्षेत्रों में भ्रष्ट तत्वों की वजह से है
नौगांव/ हरपालपुर भ्रष्टाचार को लेकर इन दिनों पूरे जिले में ही नहीं प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है भ्रष्ट नेताओं व नौकरशाहों ने आर्थिक अशांति फैला दी है बची कसर बढ़ती महंगाई ने पूरी कर दी है राजनैतिक दलों के ऊंचे क्षेत्रों में भ्रष्ट तत्वों की वजह से जो अपनी बनाई नीतियों के तहत मिलकर लूट रहे हैं हमारे जिले में भी भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत जम गई है पाप इमानदारी थक्कर हार गए हैं मिसाल के तौर पर जिले में हुए भूमि घोटालों में किसी को भी सजा नहीं हुई बल्कि बतौर पटवारी से तहसीलदार की जिम्मेदारी दे दी गई हमारा तो मानना है कि भ्रष्टाचार खत्म करना राजनैतिक लोगों व नेताओं के बस में नहीं है क्योंकि वह खुद इसमें खुद लिप्त हैं जो अपनी जेबे भरते है और इस हद तक लूटते हैं कि साथ पुस्तो का भला हो जाए वही जनता के मौलिक अधिकारों की अज्ञानता लाभ भी अब पंचायत स्तर की सरपंच सचिव ले रहे हैं जो एक बीमारी बन गई है अगर उसके पास एक लाख है तो हमारे पास 500000 होना चाहिए यही सोच प्रशासनिक अधिकारियों व नेताओं को अपने पथ से से हटा देती है पिछले कुछ वर्षों से नीतियां और आचरण सरकारों की तरफ से दिख रहे हैं वह इस जिले तो क्या प्रदेश एक ज्वालामुखी के ऊपर जा बैठा है और जब यह फटेगा और इसकी ज्वाला कितनी दूर तक जाएगी यह राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय है भारत के 62 फीसदी लोगों को रिश्वत देने का अनुभव है वहॉ इस समस्या का समाधान संभव नहीं है जो की चिंताजनक है
कानून जनता के असंतोष को दबाने के लिए बनाए जाते हैं
आरटीआई कानून लागू होने के बाद कुछ ऐसी तस्वीरें उभर रही है की सरकारी बैंकों एवं लोक सेवकों से जिस पारदर्शिता और जवाबदेही की उम्मीद की गई थी उसका कहीं अता-पता नहीं 80% सरकारी महकमों में जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति ना होना प्रथम अपील अधिकारी की निष्क्रियता और छह छह महीनों तक जानकारी ना मिलना यह दिखाने के लिए काफी है इस कानून को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है नेता और नौकरशाह मिलकर इस कानून का दमन करने में लगे है नये नियम कानून जनता के असंतोष को दबाने के लिए बनाते हैं

ritish ritishsahu
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