छतरपुर। जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग आने वाले दिनों में जिले भर में उसके अधिकार क्षेत्र में मौजूद 10 हजार से अधिक शासकीय जलस्त्रोतों से पानी का सेम्पल लेकर उसकी जांच कराएगा। यह एक नियमित प्रक्रिया है जो बरसात के बाद विभाग के द्वारा अपनायी जाती है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य है कि वर्षा जल के प्रभाव की जांच करना और पानी से जुड़ी जांचों के आधार पर लोगों को सतर्क और सावधान करना।लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में पदस्थ जांच अधिकारी आराधना पाठक ने बताया कि जिला मुख्यालय पर पीएचई कार्यालय में ही एनएडीएल संस्था से प्रमाणित जल परीक्षण की नेशनल लैब मौजूद है। यहां दो तरह से पानी की जांच की जाती है।
विभाग अपने जलस्त्रोतों से दो लीटर पानी का सेम्पल लेकर इसकी जांच करता है। पानी की फिजिकल, कैमिकल और वैक्टोलॉजिकल जांचें कराई जाती हैं जिसके 11 मापदण्ड होते हैं। इस जांच की रिपोर्ट दो दिन में प्राप्त हो जाती है जिसके द्वारा पानी की गुणवत्ता और उसके प्रभाव, दुष्प्रभाव का पता चल जाता है। पीएचई में पदस्थ आराधना पाठक ने बताया कि विभाग शासकीय जलस्त्रोतों के जल का परीक्षण तो करता ही है साथ ही यदि अन्य व्यक्ति या संस्थाएं भी अपने पानी का परीक्षण कराना चाहती हैं तो इसके लिए वे विभाग को एक आवेदन देकर 1550 रूपए की फीस चालान के माध्यम से विभाग में जमा कराते हैं।
विभाग तीन तरह की 11 पैरामीटर पर आधारित जल परीक्षण रिपोर्ट दो दिन में उन्हें उपलब्ध करा देता है। उन्होंने बताया कि इस मानसून में अब तक 800 जलस्त्रोतों के सेम्पल लिए जा चुके हैं। इसके साथ ही कर्मचारियों को फील्डकिट भी दी गई हैं जिससे मौके पर ही जाकर पानी की जांच की जा सकती है। पानी को शुद्ध रखने के लिए समय-समय पर इन जलस्त्रोतों में क्लोरीन डलवाई जाती है। स्थानीय लैब के अलावा 10 फीसदी सेम्पल बाहर के लैबों में भी जांच के लिए भेजे जाते हैं ताकि जलस्त्रोतों का पुन: प्रमाणीकरण हो सके।