
नौगॉव कोरोना जैसी महामारी को लेकर जिस प्रकार से क्षेत्र की जनता लापरवाही की सभी हदे पार करते हुये प्रशासन को दोषी बताते हुये खुद को निर्दोष बता रहे है जबकि हकिकत यह है कि नगर के भीडभाड वाले इलाका हो या बस टैक्सीया हो या फिर बडे ,बडे आयोजन सभी जगह लोग नोज माक्स के कानून की खुलेआम धज्जिया उडा रहे है कमाल की बात यह हे कि नगर के पढे लिखे अधिकांश मॉ,बाप नोजमाक्स नही लगा रहे है फिर उनसे कैसे उम्मीद की जाए कि वो अपने बच्चो को भी माक्स लागने के लिये प्रेरित किये जा सके इन कमीयो के चलते इस लापरवाही का महौल बढता जा रहा है मिशाल के तौर पर स्थनीय नगर मे ऐसे सैकडो लोग नजर आ जायेगें जो माक्स नही लगाये रहते है जो कि नगर के लिये दुर्भागय की बात है जो इस ओर इशारा करती है कि प्रशासन सक्त कार्यवाही तभी हम सब कानून का पालन करेगें अब इसे माजाक ही कहे या कुछ और कि जनता का रवैया ऐसा नजर आ रहा है मानो नगर की 75प्रतिशत जनता अनपढ हो जो प्रशासन के नियमो से अनिविध हो अहम बात यह है कि जिन समाजसेवीयो को इसे रोकने के लिये जिम्मेदारी सौफी गई थी वो भी सफेद शेर नजर आ रहे है यह बात अलग है कि ये लोग अखबारो मे या फेसबुक पर फोटो डालकर ये सबित करने मे कोई कोर कसर नही छोड रहे कि हम समाजसेवी समाज सेवा का काम नही कर रहे है एक तरह से यह लोग समाज जैसी संस्था को कलंकित कर रहे है कुल मिलाकर हैरान करने वाली बात यह है कि प्रशासन को उनकी सुरछा के लिए कार्यवाही करना पड रही है
जब की जनता खुद कानून का पालन करते हुये प्रशासन को दूसरे अन्य अवैध कार्यो को रोकने के लिये समय दे सकती है लेकिन ऐसी उम्मीद कम की जा रही है क्योकि जब नगर के कुछ बुध्दिजिवियो से बात की वो प्रशासन पर लापरवाही का अरोप लगा रहे हे वही एक अनपढ ग्रामीण से बात कि उस का कहना है कि चुनाव के वक्त नगर के नेता वोट के साथ अन्य वस्तुये वितरित करते है तो इस कोरोना काल मे घर घर जाकर नोजमाक्स और सेनेटाईजर वितरित क्यो नही कर रहे है वही कोरोना समिति से जुडे फोटो बाज सदस्य भी ये कर सकते है लेकिन ऐसा महौल कही भी नजर नही आ रहा है जब एक मिडिया सदस्य से बात की उन्होने कहा मै तो हैरान हूँ जिस जनता को अपनी सुरछा स्वंय करनी चाहिए उसकी सुरछा के लिए प्रशासन सक्त कार्यवाही करने को मजबूर हो रहा है