Please assign a menu to the primary menu location under menu

Sunday, September 24, 2023
धर्म कर्म

मनुष्य के अलावा अन्य जीव अकाल मृत्यु होने पर क्या प्रेत योनि में जाते हैं?

Visfot News

आचार्य ब्रजपाल शुक्ल, वृन्दाबन धाम
स्वकर्मनिरतो भव! आपका प्रश्न पंडितों को भी विचार करने पर मजबूर कर देता है।महभारत के मार्कण्डेयसमास्या पर्व के 208 वें अध्याय के 6 वें श्लोक में धर्मव्याध ने तपस्वी को हिंसा अहिंसा का स्वरूप बताते हुए कहा है कि
ओषध्यो वीरुधश्चैव पशवो मृगपक्षिण:।अनादिभूता भूतानामित्यपि श्रूयते श्रुति:।।
संसार में वनस्पति से लेकर पशुपक्षी आदि सभी तो जीव ही हैं।इसीलिए संसार को जीव लोक कहते हैं।
औषधियाँ, वृक्ष, पशु, सिंह, पक्षी आदि सभी जीव मनुष्य के उपयोग में आते रहे हैं और आते रहेंगे।
पशु पक्षी आदि की अकाल मृत्यु नहीं मानी जाती है।औऱ न ही वे मरने के बाद प्रेत योनि में जाते हैं।मात्र मनुष्य ही प्रेतयोनि मेंं जाते हैं।दुष्कर्म करनेवाले मनुष्य ही दण्ड स्वरूप में पशुपक्षी, सांप विच्छू आदि योनियों में भेजे जाते हैं।अब थोड़ी औऱ भी समझने योग्य है।महाभारत के वनपर्व केअन्तर्गत मृगवप्नोद्भव पर्व के 258 वें अध्याय बताया गया है कि युधिष्ठर आदि ने 12 वर्ष के वनवास काल में द्वैतवन मेंं 1 वर्ष 8 महीने बिताए।
एक दिन द्वैत वन के सभी सिंह, व्याघ्र आदि पशुओं ने युधिष्ठिर को स्वप्न में आकर निवेदन किया कि
वयं मृगा द्वैतवने हत शिष्टास्तु भारत।नोत्सीदेम महाराज क्रियतां वासपर्यय:।।5।।
हे धर्मराज ! हम द्वैतवन के पशु हैं।आप लोगों के शिकार करते करते हम बहुत कम बचे हुए हैं।हमारे वंश की रक्षा कीजिए।आप अपने निवास को बदल लीजिए। भय से कांपते हुए वन्य जीवों की बात सुनकर युधिष्ठिर बहुत दुखी हो गए।प्रात:काल अपने भाइयों से स्वप्न बताते हुएबोले कि
ते सत्यमाहु: कर्तव्या: दयास्माभिर्वनौकसाम्।साष्टमासं हि नो वर्षं यदेतदुपयुङ्क्ष्महे।।12।।
हे भाइयो ! ये वन्य जीव ठीक ही कह रहे हैं।हमें इनपर दया करना चाहिए।यहां निवास करते हुए 1 वर्ष 8 महीने हो गए हैं।ऐसा कहकर भाइयों सहित युधिष्ठिर काम्यवन मेंं चले गए। इस कथानक का यही अभिप्राय है कि क्षत्रिय को पशुहिंसा का दोष नहीं होता है औऱ न ही पशुओं की अकालमृत्यु मानी जाती है।ये पशु पक्षी आदि मरकर पुन: जन्म ले लेते हैं। प्रेत आदि योनियों में मात्र मनुष्य ही जाता है।औऱ कोई नहीं।युधिष्ठिर तो धर्म के प्रतिकूल वाणी का भी प्रयोग नहीं करते हैं तो भला क्रिया कैसे करते ? यदि वे पशुओं को प्रेतयोनि में जाते हुए जानते तो भाइयों को पहले से निषेध कर देते।धर्मात्मा पुरुषों का आचरण भी धर्म में प्रमाण माना जाता है।

RAM KUMAR KUSHWAHA
भाषा चुने »