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Sunday, September 24, 2023
डेली न्यूज़

रेरा के नियमों को ताक में रखकर हो रही प्लाटिंग, प्रशासन मौन

Visfot News

छतरपुर। बारिश के दिन शुरू होते ही शहर के चारों तरफ विकसित होती नई बस्तियों में सडक़, पानी, बिजली जैसी समस्याएं निर्मित होने लगी हैं। यहां रहने वाले लोगों के पास न तो पीने के साफ पानी की व्यवस्था है न ही आवाजाही के लिए अच्छी सडक़ मौजूद है। इन इलाकों में बिजली के खंभों और नालियों का भी अभाव है जिसके कारण यहां रहने वाले लोग नरकीय जीवन जी रहे हैं। उधर इस समस्या को निर्मित करने वाले प्लाट कारोबारी इन जमीनों पर अवैध कालोनियां विकसित कर लापता हो गए हैं। इस तरह की समस्याएं छतरपुर जिले में रेरा कानून के प्रभावी रूप से लागू न हो पाने के कारण निर्मित हो रही हैं।
पूरी सडक़ ही नाली में तब्दील हो गई
मंगलवार को शहर के वार्ड नंबर 35 लक्ष्मीपुरम सागर रोड क्षेत्र में रहने वाले दो दर्जन से ज्यादा निवासियों ने नगर पालिका कार्यालय पहुंचकर अपना दुखड़ा रोया। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि सागर रोड पर एंजिल पब्लिक स्कूल के आगे 100 से ज्यादा मकान निर्मित हैं जिसमें लोग रह रहे हैं लेकिन यहां सडक़, बिजली के खंभे, सफाई व्यवस्था और नालियों का अभाव है। लोगों ने बताया कि घरों का पानी सडक़ पर ही बहता है जिससे पूरी सडक़ नाली में तब्दील हो चुकी है। शौचालय टैंक से निकलने वाला पानी भी नालियों के रूप में सडक़ पर भरा है। पूजा करने के लिए जाने वाले लोग भी इसी से गुजरते हैं। इतना ही नहीं सडक़ न होने के कारण दूध वाले भी यहां दूध देने नहीं आते। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे पिछले दो साल से नगर पालिका से सडक़ डलवाने की मांग कर रहे हैं लेकिन इनकी सडक़ नहीं डल पा रही है।
क्या कहता है रेरा कानून
केन्द्र सरकार ने जमीन कारोबारियों पर शिकंजा कसने के लिए और प्लाट या मकान खरीदने वाले लोगों के हकों की रक्षा के लिए वर्ष 2016 में रेरा कानून लागू किया था। वैसे तो यह कानून छतरपुर में भी लागू है लेकिन इसका पालन नजर नहीं आता। कानून के तहत प्लाट या मकान का व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों को भूखण्ड विक्रय के पूर्व नगर निवेश कार्यालय से नक्शा पास कराना होता है। इस नक्शे में सडक़, बिजली, पानी और पार्क जैसी मूलभूत सुविधाओं की गारंटी भी दी जाती है। यदि यह कानून लागू है तो प्लाट विक्रेता इन सुविधाओं को देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य होते हैं लेकिन छतरपुर जिले में चारों तरफ कानून की धज्जियां उड़ाकर अवैध प्लाटिंग की गई। प्लाट खरीदने के बाद लोग लाखों रूपए खर्च कर मकान बना लेते हैं लेकिन उन्हें सडक़ जैसी सुविधा भी उपलब्ध नहीं होती।

RAM KUMAR KUSHWAHA
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