रितेश साहू अजीत
दुकानदारो सहित महिलाये परेशान
रात होते ही दुकाने बन जाती है पेशाबघर
म.प्र. मैं भले ही भा जा पा की सरकार बन गई हो और क्षेत्रीय नेताओं की ताकत में इजाफा हुआ हो प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को
धक्का लगता दिख रहा है ऐसे में आम जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है
नौगांव स्वच्छता के संदर्भ मे भारत की बिगड़ती छवि को सुधारने के उद्देश्य गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई थी लेकिन उनकी मंशा के ठीक विपरीत अभियान की धज्जियां उड़ रही हैं तो वही करीब तीन दशक पहले नगर में लोगों की सुविधाओं के लिए प्रमुख इलाकों में पेशाब घर बनाए गए थे जिसमें कुछ अंग्रेजों के समय बनाए गए थे जो धीरे-धीरे गायब होते रहे फिर हाल बात की जाए अभियान की तो नगर के विभिन्न स्थानों पर कूड़े कचरे के ढेर लगे रहते है समय पर न उठाये जाने से दुर्गधं फैल ने लगती है डस्टविन योजना भी फ्लॉप नजर आ रही है समय-समय पर नगर पालिका परिषद द्वारा स्वच्छता को लेकर भले ही कार्यक्रम आयोजित किए जाते हो लेकिन धरातल पर स्वच्छता अभियान की लो अभी तक नही पहुँच पायी है जिन संस्थाओ एंव नेताओ पर समाज को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने और सामुदायिक पेशाबघरो की व्यावस्था कराये जाने की जिम्मेदारी हो वही अगर इसको लेकर लापरवाही बरतेगें तो आम जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है यह सब कुछ महज औपचारिकता और दिखाने के लिये रह गया है वही नगर मे रखे डस्टविन भी ओवरफीलो होने के बाद नहीं उठाए जा रहे हैं कुछ डस्टबिन लोगों के घरों से दूर रखे हुये है जिससे वहखुले मे कुडा फेक रहे जो अपने आप अपने क्षेत्र में गंदगी फैला रहे हैं इन सब समस्याओं के बीच एक और समस्या विकराल रूप लेती जा रही है जिससे नगर ही नहीं बाहर से आए लोग और उपभोक्ताओं सहित महिलाएं परेशान हैं हम बात कर रहे हैं अस्सी और नब्बे के दशक में दिखाई देने वाले पेशाब घर जो बढ़ती जनसंख्या व नगरीकरण के चलते एक के बाद एक गायब होते गए और नगर में करोड़ों रुपए की योजनाएं संचालित होने के बावजूद किसी ने भी नए समुदायिक पेशाब घरों के निर्माण की और ध्यान नहीं दिया जिसको लेकर पुरानी कोतवाली स्थित 60 वर्षीय पान दुकानदार सत्तू चौरसिया ने बताया कि नगर में जिस प्रकार से ब्रिटिश शासन के दौरान कुओ का निर्माण किया गया था उसी प्रकार पेशाब घरों का निर्माण भी हुआ था और पुरानी कोतवाली चौराहे पर एकमात्र वचा पेशाब घर उसी समय का बना हुआ है वही 50 वर्षीय गोविंद ने बताया कि नगर मे कोठी चौराहा चॉदसी अस्पताल चौराहा टी,बी,अस्पताल चौराहा,सहित करीब एक दर्जन पेशाबघर थे कब गायब हुये या भ्रष्टाचार की भेट चढ गये पता नही और नतीजा है कि आज नगर मे स्वच्छता अभियान के नाम पर लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं और आम जनता दुकानदारों व महिलाओं की सुविधा के लिए नए पेशाब घरों के निर्माण की कोई बात ही नहीं कर रहा जिसको लेकर नगर के लोगों में रोष व्यक्त हैं दुकानदारों का कहना है कि पेशाब करने काफी दूर जाना पड़ता है और दुकान भी इतनी देर खाली छोड़नी पड़ती है वही मार्केट में खरीद-फरोख्त महिलाओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है रात्रि में बंद दुकानों के सामने लघुशंका करने को मंवश है और सुबह जब दुकानदार आते है तो उन्हें इसी समस्या का सामना करना पड़ता है
जिस उद्देश्य को लेकर स्वच्छता अभियान चलाया गया वह वास्तविकता से कोसों दूर नजर आ रहा हे जिसकी मिसाल नगर नौगांव जहां धरातल पर स्वच्छता अभियान की लौ अभी तक नहीं पहुंच पाई
रोहित साहू