सवाल तो लाजिमी है…आखिर राउंड फिगर में क्यों नहीं रखती गैस कंपनियां एलपीजी के दाम, हर बार सिलेंडर की डिलीवरी के समय उपभोक्ताओं को आती है परेशानी
भोपाल। घरेलू गैस सिलेंडर यानी एलपीजी की बढ़ती कीमतें आमजन को परेशान किए हुए है। वहीं गैस कंपनियों की ओर से घरेलू गैस सिलेंडर के हर बार तय किए जाने वाले दाम भी लोगों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। गैस कंपनियां ये दाम राउंड फिगर में ना रखते हुए साथ में 50 पैसे भी जोड़ देती हैं। ऐसे में ना तो गैस एजेंसी 50 पैसे लेती है और ना ही उनके सिलेंडर लाने वाले हॉकर। 50 पैसे के फेर में प्रदेश के 1 करोड़ 52 लाख 51 हजार 767 से अधिक उपभोक्ताओं को हर माह 76 लाख रुपए से अधिक की चपत लगाई जा रही है। गैस कंपनियां हर बार एलपीजी के दामों के साथ 50 पैसे को जोड़ देती हैं, ऐसे में आमजन का यही सवाल है कि आखिर ये दाम राउंड फिगर में क्यों नहीं रखे जाते हैं।
प्रदेश में तीनों कंपनियों के ग्राहकों की संख्या
- बीपीसीएल 36 लाख 87 हजार 347
- एचपीसीएल 42 लाख 2 हजार 305
- आइओसीएल 73 लाख 62 हजार 115
- कुल संख्या 1 करोड़ 52 लाख 51 हजार 767
प्रदेश के प्रमुख शहरों में एलपीजी के दाम - ग्वालियर में दाम – 943.50 रुपए
- इंदौर में दाम – 887.50 रुपए
- भोपाल में दाम – 865.50 रुपए
- जबलपुर में दाम – 866.50 रुपए
दाम के साथ 50 पैसे क्यों जब वह कोई लेता ही नहीं
इस संबंध में मप्र हाइकोर्ट ग्वालियर के युवा अधिवक्ता यश जैन ने गैस वितरक कंपनी आइओसीएल में आरटीआइ लगाई थी, कंपनी का कहना है कि हमारी गैस एजेंसियां 50 पैसे लेती हैं, जबकि ऐसा नहीं होता। इसके साथ ही उन्होंने आरबीआइ में आरटीआइ लगाकर पूछा था कि 50 पैसे चलते हैं या नहीं। इस पर आरबीआइ का कहना है कि 50 पैसे का लीगल टेंडर है और ये बाजार में चलना चाहिए। यश का कहना कि मेरा आरटीआइ लगाने के पीछे यही उद्धेश्य था कि 50 पैसे से मोटी रकम वसूली जा रही है। आखिर ये गैस कंपनियां सिलेंडर के रेट के साथ 50 पैसे रखती ही क्यों हैं। इन्हें पूरे रुपए राउंड फिगर में ही लेना चाहिए।
कई लोग तो और भी अधिक रुपए दे देते हैं हॉकर को
50 पैसे के चक्कर में गैस सिलेंडर का हॉकर अधिक रुपए ही ग्राहक से लेकर जाता है। मान लीजिए ग्वालियर में गैस सिलेंडर के दाम 943.50 रुपए हैं तो ऐसे में कई ग्राहकों से हॉकर 945 रुपए भी लेकर चलते बनते हैं। इस तरह से महीने भर में 76 लाख रुपए की ये चपत और भी बड़ी साबित हो सकती है क्योंकि कई उपभोक्ताओं के बड़े परिवार होने के कारण उनके यहां एक महीने में दो से तीन सिलेंडर भी लग जाते हैं।