Please assign a menu to the primary menu location under menu

Tuesday, May 14, 2024
डेली न्यूज़

छतरपुर मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए हुआ अनुबंध

Visfot News

कॉलेज में 2025 से एडमिशन प्रक्रिया शुरु करने की तैयारी में सरकार

भोपाल। मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए टेंडर की मंजूरी के बाद अब ठेका कंपनी और पीआइयू के बीच अनुबंध हो गया है। ठेका कंपनी जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर अगले माह निर्माण कार्य शुरु करेगी। 247 करोड़ की लागत से 150 छात्रों के एडमिशन वाला मेडिकल कॉलेज कैंपस तैयार किया जाएगा। निर्माण कार्य 2025 तक पूरा करना है। वहीं, शासन भी कॉलेज में 2025 से एडमिशन प्रक्रिया शुरु करने की तैयारी में है।

मेडकिल कॉलेज निर्माण के लिए दोबारा जारी टेंडर में संशोधन के साथ 30 जून तक निविदाएं आमंत्रित की गई। दो साल में भवन निर्माण को पूरा करने का समय तय किया गया है। राज्य सरकार ने 12 जिलों में शुरु होने वाले नए मेडिकल कालेजों को बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग की पीआइयू शाखा को तीन सौ से चार सौ करोड़ रूपए पूर्व में ट्रांसफर कर दिए थे जिसमें छतरपुर मेडिकल कॉलेज के लिए 216 करोड़ रुपए का बजट दिया गया था। जिसे निर्माण सामग्री की दरें बढऩे के कारण अब 247 करोड़ का किया गया है। छतरपुर मेडिकल कालेज राज्य सरकार अपने बजट से बना रही है।

2025 से एडमिशन के लिए डीन की नियुक्ति जरूरी

लेटलतीफी के चलते मेडिकल कालेज कैंपस अब 2024 के बजाए वर्ष 2025 तक बनकर तैयार हो पाएंगे और 2025 में ही एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए प्रवेश भी शुरू हो जाएंगे। इसके पहले इन कालेजों के लिए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, जिससे एमसीआई इन्हें संचालित करने के लिए अनुमति दे सके। मेडिकल कॉलेज के संचालन के लिए 1200 कर्मचारियों की नियुक्ति जरूरी है। इसमें 155 टीचिंग स्टाफ रहना चाहिए। इनमें लैक्चरर और प्रोफेसर शामिल हैं। इसके अलावा पैरामेडिकल स्टाफ, क्लेरिकल और चतुर्थ श्रेणी स्टाफ भी रहेगा। हालांकि डीन की नियुक्ति का इंतजार है। शुरुआत में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन को ही चार्ज दिया गया था। बाद में वापस ले लिया गया। चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक डीन की नियुक्ति का मामला लंबित है।

मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए प्रस्तावित स्थल

दिसंबर 2022 में अटक गया था मामला

गौरतलब है कि वर्ष 2018 में सीएम शिवराज सिंह चौहान मेडिकल कालेज भवन निर्माण के लिए शिलान्यास कर चुके हैं। तब से अब तक तमाम अड़ंगे आ जाने से अभी भी छतरपुर मेडिकल कॉलेज का सपना साकार नहीं हो सका है। अगस्त 2018 में मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन के बाद रुक-रुक कर चल रही निर्माण की कवायद आखरी बार दिसंबर 2022 में ठप हो गई थी। मेडिकल कॉलेज का टेंडर लेने वाली कंपनी जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर ने 2 साल की देरी के चलते निर्माण सामग्री के दाम बढऩे से पुरानी दरों पर काम करने में असमर्थता जताई और साइट ऑफिस से पहले अधिकारियों-कर्मचारियों को हटाया, फिर निर्माण सामग्री भी समेट ली।

3 साल तक चला मेडिकल कॉलेज के लिए आंदोलन

छतरपुर समेत आसपास के जिले के लोगों के लिए मेडिकल हब बन चुके छतरपुर में मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर जनता ने दो चरणों में बड़े आंदोलन किए। आंदोलन में सभी राजनीतिक दलों के नेता, समाजिक कार्यकर्ता, गणमान्य नागरिक, व्यापारी, नौकरी पेशा समेत सभी वर्ग के लोग शामिल हुए। प्रदर्शन किए गए, धरने पर बैठे, मानव श्रंखला बनाई गई, कैंडल मार्च निकाला गया, हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। यहां तक कि शहर बंद रखा गया। पहले चरण की तरह ही दूसरे चरण में भी इसी तरह से आंदोलन किया गया। वर्ष 2015 से 2018 तक लगभग सौ से ज्यादा प्रदर्शन आम जनता के द्वारा किए गए थे। जिसके बाद 15 अगस्त 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लाल परेड ग्राउंड भोपाल में छतरपुर मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की। 30 सितंबर को चुनाव के पहले तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने छतरपुर मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास भी किया। इसके बाद शिवराज सरकार कैबिनेट ने 4 अक्टूबर 2018 को 300 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति भी दी।

मेडिकल कॉलेज की जमीन के लिए बार-बार याचिकाएं दायर होने से भी हुई देरी

तृतीय सिविल न्यायाधीश वर्ग दो जिला न्यायालय छतरपुर ने मेडिकल कॉलेज के लिए आवंटित जमीन में से 3.7 हेक्टेयर जमीन निजी दर्ज करने के आदेश कर दिए हैं। जिला प्रशासन ने इस ने फैसले की अपील की है मामला जिला न्यायालय छतरपुर में विचाराधीन है। मेडिकल कॉलेज की जमीन के लिए बार-बार याचिका दायर होने से निर्माण में देरी हो रही है। मेडिकल कॉलेज की सरकारी जमीन पर सबसे पहले कब्जेदारों ने 2018 में जयसिंह के नाम से याचिका दायर की। जयसिंह ने पहले राजस्व और फिर जिला न्यायालय में और इसके बाद हाई कोर्ट में केस किया। जयसिंह का केस खत्म होने के बाद निर्माण प्रक्रिया शुरू होते ही दूसरे याचिकाकर्ता ओमप्रकाश अहिरवार ने हाईकोर्ट में अपील कर दी। इस याचिका को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके बाद तीसरे याचिकाकर्ता योगेंद्र तिवारी सामने आए। इस तरह से याचिकाओं के चलते भी काम शुरु नहीं हो सका।

फैक्ट फाइल

पुरानी लागत- 216 करोड़ रुपए

लागत- 247.12 करोड़ रुपए

भवन- 13

कैंपस- 35 एकड़

पहले साल प्रवेश- 100 सीट

टीचिंग स्टाफ- 155

कर्मचारी- 1200

RAM KUMAR KUSHWAHA
भाषा चुने »